किसी शतरंज का प्यादा कोई अदना नहीं हूँ मैं
सुनो ये जान लो दस साल का बच्चा नहीं हूँ मैं
मरीज़-ए-इश्क़ तेरा हूँ इलाज-ए-इश्क़ तुझसे हो
पराई ओक से ले लूँ दवा प्यासा नहीं हूँ मैं
सुनाई दे रहा तू जो नज़र से कह रहा उसको
हूँ तेरे प्यार में अंधा मगर बहरा नहीं हूँ मैं
यही चाहा था उसने मैं उसे खो कर के मिट जाऊँ
मैं अपने दम से दरिया हूँ कोई क़तरा नहीं हूँ मैं
जो तुम पागल कहो मुझको है इसमें क्या ख़ता मेरी
सुनो शाइर हूँ अक्सर होश में रहता नहीं हूँ मैं
तेरे आग़ोश में आकर मैं ख़ुद को भूल जाऊँ क्या
तेरी दुनिया में बेशक हूँ मगर दुनिया नहीं हूँ मैं
सुनो जज़्बात अब वो शख़्स भी मिलने को तरसेगा
तुम्हें जिसने कहा था यार अब तेरा नहीं हूँ मैं
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