साथ लहर के मोती जब निकल के आएँगे

  - Harsh Kumar Bhatnagar

साथ लहर के मोती जब निकल के आएँगे
सब से पहले सहरा के ऊँट हक़ जमाएँगे

अपना सर कटाने की बात कर रहे हैं जो
वक्त आने पे पहले अपना सर बचाएँगे

मुफ़लिसों को पैरों की धूल जो समझते हैं
वक़्त-ए-बद वो ख़ुद झूठे पत्तलों में खाएँगे

तेरी आँख में आँसू मेरे हाथ में सिग्रेट
एक शख़्स की ख़ातिर क्या से क्या हो जाएँगे

जो भी दिल लगाएगा ग़म भुलाने की ख़ातिर
उस को आशिक़ों का दुख सर-ब-सर सुनाएँगे

जंग लड़ रहे हो पर इतना ध्यान भी रखना
वार दिल पे होगा तो आप हार जाएँगे

जीत ले ये दुनिया को जब तलक है दुनिया में
हर्ष पैर तो आख़िर क़ब्र में ही जाएँगे

  - Harsh Kumar Bhatnagar

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