कितने गम हैं यार मुझे अब

  - Kabir Altamash

कितने गम हैं यार मुझे अब
कौन करेगा प्यार मुझे अब

कोई करता था ठीक मुझे
करता है बीमार मुझे अब

मैं हूं ना, सब कहते थे
कहते हैं लाचार मुझे अब

तारीफ सुनी जिन कानों ने
सुनती हैं बेकार मुझे अब

छोड़ा था कभी मैंने घर को
छोड़ दिया घर - बार मुझे अब

लगता था सब अपने ही हैं
लगते हैं मक्कार मुझे अब

  - Kabir Altamash

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