जैसे माँ-बाप का हक़ अदा ही हुआ

  - Manohar Shimpi

जैसे माँ-बाप का हक़ अदा ही हुआ
तब-से माँ की दुआ से भला ही हुआ

रंग चेहरे पे था वो अलग ही तो था
अस्ल में शक्ल से सच पता ही हुआ

फ़ालतू बात अब कौन सुनता कोई
शेर सुनके लगा क्या समा ही हुआ

ये शब-ए-हिज्र भी कुछ बयाँ है करे
जैसे तारों बिना चंद्रमा ही हुआ

चंद दिन इस जहाँ में बचे जब लगे
वक़्त समझो तभी लापता ही हुआ

देखते ही उसे ख़ास है जब लगे
दिल-क़शी का असर फिर दवा ही हुआ

तुर्फ़गी से मिला सब उसी का ही है
शुक्र है वो मेरा हम-नवा ही हुआ

कैसे हालात थे तब मनोहर सुनो
रहनुमा इक मिला वो ख़ुदा ही हुआ

  - Manohar Shimpi

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