दशरथ जी की बंजर आँखें
कैकेई की विषधर आँखें
राम गए वन बनने भगवन
कौशल्या की पत्थर आँखें
भाई लखन सा कोइ न दूजा
चलने को हैं तत्पर आँखें
आग लगी है सब आँखों में
माँ सीता हैं पुष्कर आँखें
उर्मिल को कोई क्या लिक्खे
तन्हाई का अम्बर आँखें
काट गई हैं कर्म की रेखा
इक दासी की खंजर आँखें
छोड़ नगर को जाते रघुवर
सब लोगों की झर-झर आँखें
Our suggestion based on your choice
our suggestion based on Ravi Goswami
As you were reading Life Shayari