कहीं पर चीख़ होगी और कहीं किलकारियाँ होंगी
अगर हाकिम के आगे भूक और लाचारियाँ होंगी
अगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त हो
मोहब्बत का चमन होगा ख़ुशी की क्यारियाँ होंगी
किसी को शौक़ यूँ होता नहीं ग़ुरबत में जीने का
यक़ीनन सामने उसके बड़ी दुश्वारियाँ होंगी
ये होली ईद कहती है भला कब अपने हाथों में
वफ़ा का रंग होगा प्यार की पिचकारियाँ होंगी
सुख़नवर का ये आंगन है यहाँ पर शेर महकेंगें
ग़ज़ल और गीत नज़्मों की यहाँ फुलवारियाँ होंगी
अगर जुगनू मुक़ाबिल में है आया आज सूरज के
यक़ीनन पास उसके भी बड़ी तैयारियाँ होंगी
न छोड़ो ये समझ के आग अब ठंडी हुई होगी
ये मुमकिन है ‘रज़ा’ कुछ राख में चिंगारियाँ होंगी
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