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ज़रा इमदाद उनकी भी करो तुम अबजो अब भी मुफ़्लिसी के दर पे रहते हैंकोई एज़ाज उनके नाम भी कर दोफ़क़त दुश्मन की जो ताईद करते हैं
As you were reading Shayari by Saba Rao
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