दुखा था दिल मेरा टूटा नहीं था
मगर उससे कभी शिकवा नहीं था
बहुत नुक़्सान में हैं इश्क़ करके
हमारा इस्तिफ़ादा था नहीं था
हवस बाज़ार होती जा रही थी
कोई चेहरा पस-ए-पर्दा नहीं था
कई मजबूरियाँ थीं उन्स में और
शरीक-ए-गिर्या-ए-धोका नहीं था
करेंगे इस्तिख़ारा वो किसी दिन
उन्हें मुझ पे भरोसा था नहीं था
मुशाहिद कब हमारी होगी पेशी
हमें इस दुख का अंदाज़ा नहीं था
हमें फिर ख़ुदकुशी करनी पड़ी थी
कि इसके बाद फिर रस्ता नहीं था
बहुत ऊपर से दिख जाता था सबको
मगर ये ज़ख़्म बस दुखता नहीं था
तुम्हारे इश्क़ का सारा असर है
ये लड़का इस क़दर सादा नहीं था
मेरी बीनाई खोती जा रही थी
तू जब तक पास से गुज़रा नहीं था
ज़रा औक़ात से बाहर तो आओ
हमारा दोस्त तुम जैसा नहीं था
मेरी मानो कि काँटा उस गली का
ज़रा भी पाँव में चुभता नहीं था
दिलासे ग़म कमी तकलीफ़ धोका
हमारे पास में क्या क्या नहीं था
नहीं चलती थी फिर ये नब्ज़ मेरी
कभी जो उसको मैं छूता नहीं था
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