यूँ खामोश बैठे किस उलझन में हो
इंकार है या इकरार है बता दो हमे
मोहब्बत हमने की है तुमसे
गर इश्क़ ख़ता है तो सज़ा दो हमे
मरता नहीं इस जहां में कोई किसी के बगैर
गर ज़िंदा हो तो इत्तिला दो हमे
सुना है हमारे ख़तों को जला दिए तुमने
गर जला सको तो जला दो हमे
ये जो दुनिया इश्क़ के खिलाफ है, कहाँ है?
ऐलान-ए-जंग करनी है , कोई पता दो हमे
लड़ाई मुश्किल है तो क्या, हौसले बुलंद हैं
बात आजमाइश की है तो आज़मा लो हमे
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