खिलते रहे हैं फूल मोहब्बत के नाम पर - Shivang Tiwari

खिलते रहे हैं फूल मोहब्बत के नाम पर
बोए हैं बीज जब भी बग़ावत के नाम पर

मिलने को रोज़ अब भी बुलाते हैं वो मुझे
करते हैं इश्क़ लोग शरारत के नाम पर

काँटों से बैर करके गुलाबों से दोस्ती
खाओगे ज़ख़्म तुम भी हिफ़ाज़त के नाम पर

उल्फ़त का क़त्ल कर दो निगाहों से आज तुम
धोखा-धड़ी है बिकती शराफ़त के नाम पर

- Shivang Tiwari
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