याद में आपकी हरदम बड़ा नाशाद रहा
बसना क़िस्मत में नहीं था दिल-ए-बर्बाद रहा
वक़्त-ए-एहसान गिनाऊँ मैं गिनाऊँ कितने
दाद क्या देगा सितमगर बड़ा बेदाद रहा
सारे ही ज़ख़्म हैं ज़िंदा जो मोहब्बत में मिले
जो सुनी ही न गई यार वो फ़रियाद रहा
हुस्न वालों ने मोहब्बत में दिए धोखे ही
अपने फ़न में बड़ा माहिर बड़ा उस्ताद रहा
कौन कहता है भुलाती है ग़मों को दारू ?
डूबे पैमानों में भी ज़ुल्म ओ सितम याद रहा
As you were reading Shayari by Shivang Tiwari
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