साथ देते हैं ऐसी हालत में - Sohil Barelvi

साथ देते हैं ऐसी हालत में
मुँह नहीं मोड़ते मुसीबत में

ख़्वाब टूटा तो रोएँगी आँखें
और कुछ भी नहीं हक़ीक़त में

मैं परिंदों से इश्क़ करता था
कब ठहरना था उन की आदत में

उस के जाने से ये हुआ मालूम
और क्या क्या नहीं है क़िस्मत में

तू भी अपनी तरह नहीं निकला
मैं भी कुछ और था हक़ीक़त में

ग़ौर से देखता नहीं कम-ज़र्फ़
आदमी खो गया है औरत में

आप को प्यार चाहिए तो फिर
आप क्यूँ मुब्तिला हैं नफ़रत में

ज़ख़्म देखे तो सब हरे निकले
आज फिर पड़ गया हूँ हैरत में

कुछ नहीं माँगता था मैं रब से
फिर भी खोया रहा इबादत में

- Sohil Barelvi
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