ज़ख़्म भर जाएगा इक दिन कोई मुझ से कह गया
मैं इसी उम्मीद पर हर हादसे को सह गया
जिस्म ले कर ही गया है वो जहाँ भी है अभी
दिल तो उस का याँ मिरे सीने के अंदर रह गया
मेरे सपने मेरे अपने खो गए मुझ से कहीं
तेरा घर तुझ को मुबारक मेरा घर तो ढह गया
तू अगर आगे बढ़ा तो आगे ही बस देखना
ढूँढना मत सोचना मत मैं कहाँ पर रह गया
डूब मर जा भाड़ में जा मौत आ जाए तुझे
एक दिन ग़ुस्से में मुझ से कितना कुछ वो कह गया
और दुख होता मुझे तुझ पर गुज़रता कोई दुख
और दुख मैं सह रहा था और दुख भी सह गया
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