अब नहीं भाएगा मेरा कभी आना उस को
अपनी बातों में ले आया है ज़माना उस को
याद आ जाएगा उस को भी बहुत कुछ यारो
मेरे अशआर किसी रोज़ सुनाना उस को
उस को मालूम हुआ तो वो परेशाँ होगा
मैं परेशाँ हूँ ख़ुदारा न बताना उस को
मैं ही था कल वो जिसे देर तलक सुनता था
अब मिरी बात लगा करती है ताना उस को
एक दिन उठ गया पहलू से अचानक मेरे
एक दिन मिल ही गया दूसरा शाना उस को
सुब्ह से आँखें मिरी देख रहीं उस की राह
एक पल को ही सही चाहिए आना उस को
साल-हा-साल गुज़र जाने पे अब तक सोहिल
उस ने मुझ को नहीं मैं ने नहीं जाना उस को
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