"चुनौती"
मैं सीता हूँ तुम राम बनो
मैं पावन घर की रानी हूँ
परिवार चलाने वाली हूँ
इस देश की मैं रखवाली हूँ
सम्मान बढ़ाने वाली हूँ
मैं वचन निभाने वाली हूँ
मैं सीता हूँ तुम राम बनो
तुम बन के भौंरा कली कली
मंडलाते हो उड़ जाते हो
विश्वास महल की दीवारें
हर रोज़ ख़ुद ही तुम ढाते हो
विश्वास महल की दीवारें
मैं रोज़ उठाया करती हूँ
मैं सीता हूँ तुम राम बनो
सच कहना सच के मोती से
क्या प्यार का आँचल भर दोगे
विश्वास निभाने की ख़ातिर
क्या अग्नी परिक्षा दे दोगे
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