तेग़ चले या तीर चले वो सजदे करता जाएगा - Haider Khan

तेग़ चले या तीर चले वो सजदे करता जाएगा
तेरा चाहने वाला मरते दम तक तुझ को चाहेगा

शाम भी चुप है मैं भी चुप हूँ तू भी चुप है कुछ तो बोल
इतना शोर शराबा मुझ को अंदर से खा जाएगा

एक किनारे मैं गुम-सुम सा एक किनारे तू ख़ामोश
इतनी दूरी और ये आलम कोई तो बीच में आएगा

नाम किसी का होगा लब पर दिल में और कोई होगा
यानी तीर कहीं साधेंगे मारा कोई जाएगा

यार समझ तू रोटी कपड़ा क़र्ज़ परेशानी और घर
ये सारा कुछ छोड़ के कोई कब तक तुझे मनाएगा

एक कहानी में दो लोग हैं कुछ तो सुना सुना सा है
मुझ को लगता है ये लड़का फिर से धोखा खाएगा

इश्क़ में क्या डरना क्या होगा दिल थामों और कूद पड़ो
या तो दिल टूटेगा अपना या दिल तोड़ा जाएगा

तैश में आ कर सारे खिलौने उस ने तोड़ दिए लेकिन
मुझ को छोड़ दिया है वर्ना दिल कैसे बहलाएगा

सूरज चाँद सितारे शबनम वैसे तो सब अच्छे हैं
लेकिन उसको जो भाएगा हम को बस वो भाएगा

हम भी पागल थे जो बिछड़ते वक़्त ये शर्त लगा बैठे
कौन किसे पहले भूलेगा कौन किसे तड़पाएगा

काम हमारा क्या है 'हैदर' उनकी गली में जाएँगे
या तो सर फोड़ेंगे दर पर या सर फोड़ा जाएगा

- Haider Khan
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