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Haider Khan
Haider Khan
क्या भला हम को पता हो किसी मौसम के सितम
बाप साया किए हम पर जो खड़ा रहता है
Top 10 of Haider Khan
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Ghazal
Nazm
हमारे आबा-ओ-अज्दाद से विरासत में
ज़मीं नहीं न सही पर हमें किताब मिले
Haider Khan
1
इस क़दर खुद से बना रक्खी है दूरी मैंने
खुद पहुँचती नहीं मुझ तक ही सदाएँ मेरी
Haider Khan
1
तुम अपनी बात पे क़ाएम हो आख़री दम तक
हटाओ छोड़ो ये ख़्वाब-ओ-ख़याल की बातें
Haider Khan
0
आप को पूरी तरह ख़ुद से मिटाने के बा'द
ख़ुद में झाँका तो हमें कुछ भी हमारा न मिला
Haider Khan
2
मिरी बहनों से मिलना तो उन्हें पैग़ाम ये देना
कि भाई अब नहीं तो क्या ख़ुदाई तो सलामत है
हुआ क्या जो के दुश्मन ने किया धड़ से अलग सर को
लो बाँधो राखियाँ इसमें कलाई तो सलामत है
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Haider Khan
9
ख़्यालों से ज़रा हट कर हक़ीक़त पर नज़र डालो
ये दुनिया वो नहीं है जो किताबों में पढ़ा तुमने
Haider Khan
11
मुझ से मिलना हो जिसे दिन के उजालों में मिले
ख़ुद से रहती है मुलाक़ात मिरी शाम के बा'द
Haider Khan
4
कभी उसको हम अपनी रूह का पैकर समझते थे
बहुत नादान थे मक़्तल को अपना घर समझते थे
Haider Khan
11
बना के रख दिया नक़्शा तिरे मोहल्ले का
उस एक शख़्स ने जिस को तू जानता भी नहीं
Haider Khan
3
बातें करो तो ऐसी कि दुनिया यकीं करे
ये क्या कि तुम को मेरा कोई मिस्ल मिल गया
Haider Khan
7
अभी भी अपनी किताबों के पिछले पन्ने पर
तुम्हारे नाम को लिखते हैं फिर मिटाते हैं
Haider Khan
4
अब वो मेरे साथ है यारों अब मंज़िल का क्या ग़म है
रस्ता थोड़ा और बढ़ा दो मुझ को चलते जाना है
Haider Khan
2
उसने पूछा कैसे मुम्किन है मेरे दिल तक जाना
मैंने कहा तुम उर्दू सीखो रस्ता बनते जाना है
Haider Khan
3
उस के हाथों में कुद्रत ने ऐसी दी है मसीहाई
सीने पर वो हाथ रखे तो ज़ख्म-ए-दिल भर जाता है
Haider Khan
2
फ़क़त दो-चार ईदें और बढ़ा दे साल में या रब
गले बाबा के लगने को बहाने चाहता हूँ मैं
Haider Khan
21
यही इक हल बचा है अब मिरी नाराज़गी का
उसे बोलो मिरे अंदाज़ में मुझ को मनाए
Haider Khan
4
लब पे आता था जो दुआ बन कर
दिल में रहता है अब ख़ला बन कर
कितना इतरा रहा है अब वो फूल
तेरे बालों का मोगरा बन कर
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Haider Khan
6
अब इसलिए नहीं आती बहार घर मेरे
कि इक गुलाब का दिल मेरे हाथों टूट गया
Haider Khan
4
क्या भला हम को पता हो किसी मौसम के सितम
बाप साया किए हम पर जो खड़ा रहता है
Haider Khan
10
तुमसे जो मिला हूँ तो मेरा हाल है बदला
पतझड़ में भी जैसे के कोई फूल खिला हो
Haider Khan
12
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