है आइना जो तिरा दिल तो मेरा पत्थर है
ये मिल गए तो तिरा टूटना मुक़द्दर है
सँभल सँभल के क़दम इस में आप रखिएगा
ज़मीं है इश्क़ कभी तो कभी समंदर है
तुम्हारा हाथ मिरे हाथ में तो है लेकिन
है एक फ़ासला जो अब भी अपने अंदर है
गए जो तुम तो गुज़रते नहीं हैं अब मौसम
अभी भी घर में मिरे बीस का सितंबर है
वो ख़्वाब देख नहीं पाते जो ये कहते हैं
कि पैर उतने ही फैलाओ जितनी चादर है
वो शख़्स देखना सत्ता में आ ही जाएगा
ज़मीं के नीचे है उतना वो जितना ऊपर है
सड़क किनारे कैलेंडर नहीं है उसके पास
उसे तो सर्दी बताती है ये दिसंबर है
है आसमाँ भी बहुत ख़ूब हाँ मगर जब तक
ज़मीं पे माँ है ज़मीं आसमाँ से बेहतर है
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