हम तुम्हारा हक़ अदा करते
गर मोहब्बत में वफ़ा करते
आप पहला इश्क़ थे मेरा
आपकी ख़ातिर दुआ करते
थोड़ी ही तो बात बिगड़ी थी
मौलवी बेहतर दवा करते
हम नई नस्लों के सब आशिक़
इश्क़ करने से बचा करते
आपकी शादी का दुख भी था
आप को हँसते जुदा करते
आपकी शादी का ही कल भी
खाना खा कर हम मज़ा करते
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