अब अकेलेपन से अपने दोस्ती कर के
कमरे में रहता हूँ तन्हा तीरगी कर के
आँखों से आँसू निकल आए ये मुमकिन है
पर हँसा सकते नहीं हो गुदगुदी कर के
झूठ वाले वो तो बेहद बढ़ गए आगे
फँस गया हूँ सच तेरी मैं पैरवी कर के
यादों का उसकी ख़ज़ाना पास है मेरे
छीन ले कोई मेरे आगे छुरी कर के
हाईवे पर बैठ कर ये सोचता हूँ मैं
दर्द कम हो जाएगा क्या ख़ुदकुशी कर के
मश्वरा उसको जिसे सुनता नहीं कोई
गुफ़्तुगू दीवार से देखे कभी कर के
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