आँखों से हो रही बरसात नहीं थाम सका
मैं तेरी दी हुई सौग़ात नहीं थाम सका
ज़िन्दगी एक क़दम दूर थी बस एक क़दम
और मैं उसका कभी हाथ नहीं थाम सका
मैंने चाहा कि ग़ज़ल में न करूँ तेरा ज़िक्र
मेरा दिल अपने ये जज़्बात नहीं थाम सका
आज देखा उसे तो फिर से वही हाल कि दिल
अपने बिखरे हुए लम्हात नहीं थाम सका
इश्क़ की डोर न थामी जा सकी उससे तो क्या
मैं भी तो डोर को दिन रात नहीं थाम सका
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