ऐसी लड़की हमें आफ़त भी बहुत लगती है
जिसको पाने में मशक़्क़त भी बहुत लगती है
हम हैं सहरा में हर इक बूँद के तरसे हुए लोग
हमको दो दिन की मुहब्बत भी बहुत लगती है
दिन में हम इश्क़ से उकताए हुए फिरते हैं
रात को तेरी ज़रूरत भी बहुत लगती है
पर्स में कुछ भी नहीं इक तेरी फोटो के सिवा
सोचता हूँ तो ये दौलत भी बहुत लगती है
उसने जब गाल बढ़ाया तो समझ आया हमें
चूमने के लिए हिम्मत भी बहुत लगती है
दिल ने कुछ ऐसे भरम पाल रखे हैं जिनको
सच अगर मानूँ तो लज़्ज़त भी बहुत लगती है
चाहने के लिए इक लम्हा बहुत होता है
कभी इक शख़्स की सूरत भी बहुत लगती है
प्यार करने के लिए कौन खँगाले दुनिया
आशिक़ों को तो खुली छत भी बहुत लगती है
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