ख़ुश बहुत था सनम तेरे आने के बाद
ख़ूब रोया मग़र तेरे जाने के बाद
अपनी बचपन में कितनी ही थीं हसरतें
सब की सब मर गईं ख़ुद कमाने के बाद
है मोहब्बत की कैसी रिवायत यहाँ
सब बिछड़ते रहे हैं निभाने के बाद
अपने चेहरे की रौऩक़ कभी देखना
कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाने के बाद
जब मोहब्बत नहीं थी तो करते मना
तुमको क्या ही मिला दिल दुख़ाने के बाद
हां अभी तो यूं नफ़रत करेंगे ही लोग
होगी चाहत मगर अपने जाने के बाद
ऐसे लोगों से तुम दूर 'सादिक़' रहो
जो उठातें हैं तुम को गिराने के बाद
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