यहाँ देखो ज़रा जलवा हमारा
हमारा शहर है रुतबा हमारा
हमीं पर आज भारी पड़ गया है
मुहब्बत का ये जो क़िस्सा हमारा
वो इतना ध्यान ही रखती है वैसे
कि उससे जी रहा उकता हमारा
हमारी भी अदाकारी कोई है
पकड़ लेती है वो बनना हमारा
बड़ी चोटें हैं खाई ज़िंदगी में
बता सबको रहा चेहरा हमारा
कोई भी देखने वाला नहीं है
बहुत वीरान है कमरा हमारा
हिला सकता है अच्छे अच्छों को फिर
किसी झगड़े में यूँ पड़ना हमारा
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