कहूँ तुझे लिखूँ तुझे पढ़ूँ तुझे
इक अक्स बनके सामने सुनूँ तुझे
रहेगी तू हमेशा दिल के पास ही
मै चाहे कितना भी गलत लिखूँ तुझे
तू पूछे जब कि तुझसे क्या है राब्ता
तो मैं, तू प्यार है मिरा कहूँ तुझे
ख़ुदा की मुझपे नेमतों को गर गिनूँ
तो सबसे आला दर्जे पे गिनूँ तुझे
मै आया वैसे तो हूँ दिल को बेचने
मगर ये दिल की शर्त है बिकूँ तुझे
मिरे दरूँ तू घुल मिले कुछ इस तरह
हर इक मै अपनी साँस में ज्यूँ तुझे
मै बन सकूँ तिरी निगाहों की तलब
जहाँ भी देखे हर तरफ दिखूँ तुझे
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