वो जो बे-नियाज़-ए-जहाँ करे मुझे उस नज़र की तलाश है
जो तुझे बना दे ग़म-आश्ना मुझे उस असर की तलाश है
न रहे जहाँ पे पहुँच के फिर किसी दर पे जाने की आरज़ू
जहाँ इश्क़ की भी है आबरू मुझे ऐसे दर की तलाश है
जहाँ बिखरी प्यार की दास्ताँ जहाँ ज़र्रा ज़र्रा है आस्ताँ
वो मिरी ज़मीं मिरा आसमाँ उसी रहगुज़र की तलाश है
हैं तुझी से हुस्न की शोख़ियाँ हैं तुझी से इश्क़ की गर्मियाँ
दिल-ए-ज़िंदा तेरी तलाश ही मिरी उम्र भर की तलाश है
वो भी क्या मज़े की थी ज़िंदगी जो सफ़र सफ़र में गुज़र गई
नहीं मंज़िलों में वो दिल-कशी मुझे फिर सफ़र की तलाश है
जहाँ रक़्स में हो किरन किरन जहाँ ग़ुंचे चटकें चमन चमन
नज़र आए जिस में वो सीम-तन मुझे उस सहर की तलाश है
ये तबस्सुम उन का था लुट गया सर-ए-राह दिल का ये क़ाफ़िला
वो जो बे-ख़बर सा चला गया उसी बे-ख़बर की तलाश है
जहाँ दर्द-ओ-दाग़ की जुस्तुजू जहाँ नित नई नई आरज़ू
कि जिसे तलाश-ए-सुकूँ नहीं मुझे उस जिगर की तलाश है
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