जब दिल हो मुझसे मिलने आया करती थी
मैं जानें को कहता रो जाया करती थी
बातों से दिल भर भी जाता था उसका फिर
तब जाकर वो मेरा सर खाया करती थी
इतना काफी है उसको दिल देना मेरा
मीलों चलकर वो खाना लाया करती थी
हँसने पर हँसती रोने पर मर जाती थी
ग़म के बादल में ज़ुल्फ़ें साया करती थी
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