जिनको ग़ज़लों में लिक्खे हैं पागल है
उनको शायद हम लगते हैं पागल है
तुमने पागल बोला तो अफ़सोस नहीं
जाने किस किस से सुनते हैं पागल है
औरों से उम्मीद ही कैसे रखते हम
दोस्त हमारे ही कहते हैं पागल है
आगे मेरे तो तारीफ़ें करते हैं
आपस में बातें करते हैं पागल है
सब के नाम को उनके पद के साथ लिखा
हम जैसों को बस लिखते हैं पागल है
मैं शायद सचमुच पागल हूँ इस ख़ातिर
पागल भी मुझको कहते हैं पागल है
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