काम मैं फ़ालतू नहीं करता - Tarun Pandey

काम मैं फ़ालतू नहीं करता
हर समय गुफ़्तगू नहीं करता

करता' तो हूँ शरारतें घर पर
हाँ मगर कू-ब-कू नहीं करता

प्यार तो करता हूँ मैं तुझसे ही
पर तिरी आरज़ू नहीं करता

क्यों कहूँ प्यार को ज़बर सबसे
यूँ ज़बर हाव-हू नहीं करता

नज़्म कहता हसीन तर जो, वो
दोस्त अब गुफ़्तगू नहीं करता

रो रहा है बशर मगर देखो
ज़िन्दगी को रफ़ू नहीं करता

/ तरुण पाण्डेय

- Tarun Pandey
1 Like

More by Tarun Pandey

As you were reading Shayari by Tarun Pandey

Similar Writers

our suggestion based on Tarun Pandey

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari