क्या फ़ायदा है पूछने का हाल चाल अब
रख ही नहीं रहा हूँ मैं अपना ख़याल अब
देखा है जबसे उसको किसी दूसरे के साथ
जँचता नहीं है वो न हीं उसका जमाल अब
बेरंग होगी होली तेरे बाद भी नहीं
ख़ुद को लगाना है मुझे पहला गुलाल अब
होती शुरू शुरू में है दिक़्क़त ज़रा ज़रा
पर अच्छा लग रहा है हमें ये ख़िलाल अब
बच्चों के इंतिज़ार में माँ बाप थक गए
इस बार फिर कहा है कि बस एक साल अब
मिलकर उड़ा के ले गए पक्षी तो जाल को
चिल्ला रहा शिकारी है क्यों जाल जाल अब
दौलत के आगे कोई नहीं जानता है ये
क्या है हराम और है क्या कुछ हलाल अब
इक और मौक़ा देने को बोला है उसने पर
मुमकिन नहीं है रखना ये रिश्ता बहाल अब
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