बोल के कलयुग है सतयुग को भगाया था किसी ने
धीरे से ऐसे बुराई को जगाया था किसी ने
कोई ऐसे ही अकेला हो नहीं जाता कभी भी
एक बारी भी गले दिल से लगाया था किसी ने
मेरी राहें तेरे तक है तुझ पे ही तो मेरा हक़ है
वास्ते मेरे ये गाना दिल से गाया था किसी ने
जो कहानी है सुनाई एक तक रुकनी नहीं थी
प्रेम का प्रस्ताव मेरा भी फगाया था किसी ने
ठोकरें देकर 'धरम' को ठोस करने को नमन है
ज़िंदगी का दीप ऐसे जगमगाया था किसी ने
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