हर रात हमको ख़्वाब से लगने लगे - Happy Srivastava 'Ambar'

हर रात हमको ख़्वाब से लगने लगे
हम इश्क़ में बेताब से लगने लगे

रंग-ए-रफ़ाक़त का असर कुछ यूँ हुआ
सूखे चमन शादाब से लगने लगे

जो हो सही वो फ़ैसला कर दीजिए
जब साफ़ गो तेज़ाब से लगने लगे

उनका कहा तहरीर कर के रख लिया
जब से हमें कज़्ज़ाब से लगने लगे

वो कौन थे जो ज़ब्त में भी जी गए
शाने हमें सैलाब से लगने लगे

इक तंज़ जिसको भूलना आसान था
उस तंज़ में तेज़ाब से लगने लगे

- Happy Srivastava 'Ambar'
0 Likes

More by Happy Srivastava 'Ambar'

As you were reading Shayari by Happy Srivastava 'Ambar'

Similar Writers

our suggestion based on Happy Srivastava 'Ambar'

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari