उदास ज़िंदगी सभी दरख़्त पढ़ते हैं - Lalit Mohan Joshi

उदास ज़िंदगी सभी दरख़्त पढ़ते हैं
सो मेरी ख़ामुशी सभी दरख़्त पढ़ते हैं

अभी सफ़र ये मुश्किलों भरा दिखा मगर
सफ़र की बुज़दिली सभी दरख़्त पढ़ते हैं

जमावड़ा लगा दरख़्त पे है भूतों का
ये बात बे-तुकी सभी दरख़्त पढ़ते हैं

लिखी ये शाइरी जो दर्द पर नई मगर
वो आँखों की नमी सभी दरख़्त पढ़ते हैं

परी वो ख़ूब कितनी यार लगती है मगर
अदा वो नटखटी सभी दरख़्त पढ़ते हैं

कही किसी ने कल यहाँ पे बात चुपके से
वो बात बे-कही सभी दरख़्त पढ़ते हैं

है चेहरे दोस्ती के यार कितने ही मगर
है कौन हम-दिली सभी दरख़्त पढ़ते हैं

'ललित' ने दे दिया है शाइरी में दिल यहाँ
सो उसकी शाइरी सभी दरख़्त पढ़ते हैं

- Lalit Mohan Joshi
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