सच की कितनी बड़ी सज़ा देगा
हद से हद सर मिरा उड़ा देगा
ये तो दस्तूर है ज़माने का
सब को अपना कोई दग़ा देगा
दाग़ दामन का तू छुपा वर्ना
कोई देखेगा तो हवा देगा
चक्करों में न यार पड़ इस के
कौन इस दौर में वफ़ा देगा
सब्र तूफ़ान आने तक कर ले
कौन है चाहता बता देगा
वक़्त देगा भी गर मुझे कुछ, तो
आँसुओं के सिवाए क्या देगा
वो मिरे दुख को जानता ही नहीं
जो मुझे जीने की दुआ देगा
क्यों बनूँ आसरा किसी का मैं
कौन बदले में आसरा देगा
इतरा ले जितना शाने पे 'मोहित'
वो जभी चाहेगा झुका देगा
Read Full