जानता हूँ कि इसमें हारूँगा - Praveen Sharma SHAJAR

जानता हूँ कि इसमें हारूँगा
ख़ुद को पर जंग में उतारूँगा

वो निशाने पे है नहीं लेकिन
इश्क़ में तीर मैं ही मारूँगा

तू मुझे बस पिला दे थोड़ी सी
तेरा सारा नशा उतारूँगा

तू मुझे होश में तो जाने दे
तेरा सारा नशा उतारूँगा

ज़िन्दगी कर ले कोशिशें सारी
मौत आने तलक न हारूँगा

उसके चेहरे में कुछ नहीं रक्खा
सर से पैरों तलक निहारूँगा

वो मुझे एक पल नहीं देता
जिसपे मैं ज़िन्दगी गुज़ारूँगा

और तो क्या करूँगा लेकिन हाँ
इश्क़ में हौसले न हारूँगा

जंग जीतूँ मैं या नहीं जीतूँ
बैरी की औरतें न मारूँगा

जब तलक आँख में रहेगा वो
तब तलक उसको मैं पुकारूँगा

- Praveen Sharma SHAJAR
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