फ़ुर्क़त के ग़म से गुज़रना बचा है

  - Milan Gautam

फ़ुर्क़त के ग़म से गुज़रना बचा है
आँखों को अश्कों से भरना बचा है

जाने दिया तुझ को इक़्दाम के बिन
अब सिर्फ़ अफ़सोस करना बचा है

इक तेरी यादों के मौसम बचे हैं
दुनिया में क्या मेरा वर्ना बचा है

उफ़ संग-ए-मरमर सा पैकर तुम्हारा
अब और कितना सँवरना बचा है

इक तुम को पा कर दिलावर हुए हैं
अब तुम को खोने से डरना बचा है

तेरे तजस्सुस में भटके बहुत हैं
बाँहों में तेरी ठहरना बचा है

जीना था जितना मुझे जी लिया है
तेरे बिना सिर्फ़ मरना बचा है

यक-सार होना थी क़िस्मत हमारी
लेकिन 'मिलन' अब बिखरना बचा है

  - Milan Gautam

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