मुर्शिद शजर पे आज क़यामत गुज़र गई
मुर्शिद शजर की जान जो लड़की थी मर गई
मुर्शिद शजर के हाल पे गिर्या कुनाँ है दिल
मुर्शीद शजर को बे वफ़ा बर्बाद कर गई।
मुर्शिद शजर से करती थी जो दावे इश्क़ के
मुर्शिद शजर को छोड़ के तन्हा वो घर गई
मुर्शिद शजर के सोग में मातम बपा हुआ
मुर्शिद शजर के मरने की जिस सूँ ख़बर गई
मुर्शिद शजर ने की थी दुआ वस्ल-ए-यार की
मुर्शिद शजर की ये भी दुआ बे असर गई
मुर्शिद शजर को काट रहे हो क्यूँ बे सबब
मुर्शिद शजर से आपकी उल्फ़त किधर गई
मुर्शिद शजर का हाल कुछ ऐसा था हिज्र में
मुर्शिद शजर को देख के तन्हाई डर गई
मुर्शिद शजर के होंटो की जो थी हँसी मलाल
मुर्शिद शजर की आँखों में वो अश्क़ भर गई
मुर्शिद शजर को जब भी कभी आई उसकी याद
मुर्शिद शजर का पीके वो ख़ून-ए-जिगर गई
मुर्शिद शजर का जान-ओ-जिगर थी जो कल तलक
मुर्शिद शजर के दिल से वो लड़की उतर गई
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