धरती चटक रही है माथा चटक रहा है - Aatish Indori

धरती चटक रही है माथा चटक रहा है
दस्तावेज़ों में पर पारा लुढ़क रहा है

एक नया क़ानून बनाकर निपटा देंगे
संसद को सच कहने वाला खटक रहा है

दया करो मत फेंको भाई तीर चुनावी
देश का इससे ताना-बाना दरक रहा है

घर-घर पानी पहुँचाने का वादा कर के
कुओं में तालाबों में पत्थर पटक रहा है

मुफ़्त ये देंगे वो देंगे पर मत ललचाओ
गाजर नहीं है भाई काँटा लटक रहा है

- Aatish Indori
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