धरती चटक रही है माथा चटक रहा है
दस्तावेज़ों में पर पारा लुढ़क रहा है
एक नया क़ानून बनाकर निपटा देंगे
संसद को सच कहने वाला खटक रहा है
दया करो मत फेंको भाई तीर चुनावी
देश का इससे ताना-बाना दरक रहा है
घर-घर पानी पहुँचाने का वादा कर के
कुओं में तालाबों में पत्थर पटक रहा है
मुफ़्त ये देंगे वो देंगे पर मत ललचाओ
गाजर नहीं है भाई काँटा लटक रहा है
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