फंदा-वंदा छोड़कर मैं दूजा सपना बुन रहा हूँ

  - Aatish Indori

फंदा-वंदा छोड़कर मैं दूजा सपना बुन रहा हूँ
ख़ुद-कुशी तुझको नहीं मैं ज़िंदगी को चुन रहा हूँ

जान-ए-जानाँ जा रहा हूँ मैं मोहब्बत के शिखर पर
आशिक़ी को छोड़कर मैं बंदगी को चुन रहा हूँ

  - Aatish Indori

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