कम मिली रोटी हमें फिर भी तसल्ली आज करली
मरते थे मरते रहेंगे कौन है जिसने ख़बर ली
क़ाएदा क़ानून ये सब हम ग़रीबों के लिए है
अफ़सरों का कुछ न होगा जिसने अपनी जेब भरली
As you were reading Shayari by Abhi Gurjar
our suggestion based on Abhi Gurjar
As you were reading undefined Shayari