मैं दूर रहता हूँ समझो फ़ेक जिस्म से
मैं जिस्म भरता हूँ यानी नेक जिस्म से
मैं ऐसा आदमी और हूँ ऐसा बेवफ़ा
भरता नहीं है मन मेरा एक जिस्म से
रूहों की क़द्र-ओ-क़ीमत वैसी नहीं रही
तो फिर तो नैन जिस्मों को सेक जिस्म से
As you were reading Shayari by Jonty nain
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