ज़हन में इक मुसलसल मर्सिया है
मुझे था इश्क़ जिससे जा चुका है
यक़ीनन मैं तो उसको खो चुका हूँ
मगर दावा है के वो खो रहा है
जिसे पत्थर समझ के फेंक बैठे
समझ आया असल में देवता है
सफ़र में मैं जिसे चलते मिला था
मुझे अफ़सोस है वो रुक गया है
मैं जिसको बुतकदे में छोड़ आया
ख़बर आई है वो असली ख़ुदा है
ख़ुदा को मौलवी ने कल था टोका
ख़ुदा का बोलना बिल्कुल मना है
मेरे इस घर में अपनापन नहीं है
यहाँ इक पेड़ था जो गिर गया है
बुरे हालात है पर यार अब भी
गले मिलता है, सेहत पूछता है
सदाक़त हमको खाए जा रही है
मुहब्बत है नहीं ये बोलना है
तुझे मुझ पर तरस आता नहीं क्या
मैं काफ़िर हूँ मगर तू तो ख़ुदा है
यकीं कैसे करूँ तेरी जुबां पे
तू वाइज़ है तो सच क्यूँ बोलता है
मुहब्बत उसपे ही खुलती नहीं है
अजी जो यार है चिकना घड़ा है
सफ़र पर भेज बस्ता पैक कर दे
तेरे बच्चे को चलना आ गया है
मुहब्बत मैंने तुझसे की बहुत है
मगर कहता नहीं तुझको पता है
हमारा हाल वो भी जानते हैं
ज़हन में बस यही एक मसअला है
न जाने क्या वो मुझ में खो चुका है
न जाने क्या वो मुझ में ढूँढता है
कहाँ है वो समझ आता नहीं है
कहाँ हूँ मैं वो मुझसे पूछता है
कोई बतलाए के शर्माए कितना
वो मुझको पहरों पहरों देखता है
तू मेरा सब है जब तुझको ख़बर हो
चले आना के दर तब तक खुला है
तेरे जाने से ग़म तो आ गया पर
मुहब्बत से ये दिल अब भी भरा है
बिना बोले मैं सबका हो गया हूँ
ज़रा पागल हूँ मैं सबको पता है
जो अक्सर सोचता था पूछता हूँ
ख़ुदा हो कर के तुझको क्या मिला है
बड़ी आफ़त में है हम तेरे हो कर
मैं डरता हूँ तू मेरा हो गया है
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