किसी रोज़ तो घर से जाना पड़ेगा
कहीं यार जा कर कमाना पड़ेगा
रुलाना मुझे ज़िंदगी चाहती है
मुझे ज़ोर से मुस्कुराना पड़ेगा
तुझे दिल किसी का अगर जीतना है
तुझे दिल को अपने हराना पड़ेगा
क़लम शेर अच्छे नहीं लिख रही है
इसे ख़ून ग़म का पिलाना पड़ेगा
कबूतर की दुनिया अलग थी अलग है
उसे घर अलग ही बनाना पड़ेगा
मिरा दिल उसे भूलता ही नहीं है
मुझे दिल को थोड़ा डराना पड़ेगा
कई रोज़ से कुछ उदासी है छाई
मुझे दिल किसी से लगाना पड़ेगा
परिंदा मिरा बे-वफ़ा हो गया है
नशेमन नहीं अब बनाना पड़ेगा
अभी कह रहा था शजर एक मुझसे
बग़ल के शजर को गिराना पड़ेगा
कभी झूठ 'सागर' नहीं बोलता है
क़सम खा के सब को बताना पड़ेगा
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