मुझे फ़ख़्र तो बस इसी बात का है
वफ़ादार को दिल मिरा पूजता है
गुज़र जाए जीवन भले मेरा तन्हा
वफ़ा ही करूँगा मिरा फ़ैसला है
ज़रा सा ख़फ़ा हूँ मिरे चाँद से मैं
मिरा चाँद मुझसे ज़रा सा ख़फ़ा है
मुझे फिर कभी दोस्त कहना न अपना
अगर झूठ मुझसे कभी कुछ कहा है
है कितना भला आदमी मेरा दुश्मन
मिरी मौत की वो दुआ माँगता है
नहीं भर सकेगा किसी हाल भी दिल
कभी इश्क़ से दिल किसी का भरा है
नहीं देखता अब मुहब्बत से कोई
है 'सागर' किसी का सभी को पता है
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