काग़ज़ की कश्ती कभी हम भी बनाया करते थे
वो बचपन में जहाज़ हम भी उड़ाया करते थे
अफ़सोस वो तो दिन ही चला गया है अब 'महमूद'
वगर्ना हम भी इनसे कहाँ बाज़ आया करते थे
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