इक वस्फ़ तो सब में बराबर होता है

  - Harsh Kumar Bhatnagar

इक वस्फ़ तो सब में बराबर होता है
ख़ुद के बिछड़ जाने का इक डर होता है

जब तोड़ देती है ये ख़ामोशी मुझे
हर काम तब हाथों से बद्तर होता है

परदेस है दौलत कमाने के लिए
अस्ली सुकूँ तो अपना ही घर होता है

ये लूट लेती हैं फ़क़त मुस्कान से
इन लड़कियों के पास मन्तर होता है

जो फ़ेल होते थे सदा ही क्लास में
उन जैसों के अन्दर ही शायर होता है

  - Harsh Kumar Bhatnagar

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