ऊँचाइयों से गिरना अमाँ जानता हूँ मैं
इन पंछियों को तीर नहीं मारता हूँ मैं
मैं सोचते हुए ये कईं बार सोचता
के सोचते हुए भी तुम्हें सोचता हूँ मैं
दिल तेरा तोड़ना था प मैं तोड़ ना सका
बागों के फूल क्यूंकि नहीं तोड़ता हूँ मैं
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by NISHKARSH AGGARWAL
our suggestion based on NISHKARSH AGGARWAL
As you were reading Dil Shayari