मेरे ख़्वाबों ने ऐसे तो कभी सूरत नहीं बदली
बहुत बदली मगर यूँ तो कभी आदत नहीं बदली
मेरे जानिब कई दिलकश गए आए मगर फिर भी
मेरे दिल ने कसम तेरी कभी चाहत नहीं बदली
बहुत चाहा तुझे भूलू तेरी यादें मिटा फेंकू
मगर हर बार ये जाना मेरी शफ़क़त नहीं बदली
As you were reading Shayari by Shantanu Sharma
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