अब कभी याद मुझको अइयो मत
और कभी अपने घर बुलइयो मत
क्यों नहीं हाल-ए-दिल सुना तुमने
अपना अब हाल-ए-दिल सुनइयो मत
इल्तिजा एक है मेरी तुमसे
कॉल मेरी कभी लगइयो मत
मैं तो नखरे भी सब उठा लूँगा
ग़ैर से रिश्ता बस बनइयो मत
अब किसी का नहीं भरोसा है
ट्रेन में कुछ भी लेके खइयो मत
छोड़ दो कितना भी कहूँ तुमसे
तुम मुझे छोड़ के सो जइयो मत
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