ज्ञान पर अभिमान का जो इक उदाहरण हो गया
और फिर अपने पतन का ख़ुद ही कारण हो गया
क्या अजब इसमें कि इक रावण था जो ज्ञानी हुआ
पर अजब तो ये है इक ज्ञानी भी रावण हो गया
As you were reading Shayari by Wajid Husain Sahil
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